Sunday, 31 July 2016

#PakhalaDibasa on a Marathi daily newspaper

Pakhala is a food of Odisha. It is prepared by soaking rice in water and curd can also be added to it. #PakhalaDibasa is celebrated o 20th March.
If you think, #PakhalaDibasa as a building, then the foundation stone was placed in Orkut, the building was constructed during Facebook times and the finishing touch was given in twitter on 20-Mar-2015 through a twitter-trend.
Again after the twitter trend on 20-Mar-2016, the news about #PakhalaDibasa was published in a Marathi daily “Sakal” on that day.
#PakhalaDibasa news on a Marathi daily.
P.C. @BBSRBuzz 
I have just typed it by referring the screenshot. There might be many mistakes. :) उष्णतेच्या दाहावर ‘पखाळा’ चा उतारा. होळी आळी आहे, त्यामुळे उष्णतेजी तीव्रता जाणवत आहे. उन्हापासून करण्यासाठी टोप्या, कुलर यांचा वापर सुरु झाला. उष्णतेजा दाह कमी यासाठी भात खाल्ला जातो, हे तेकांना माहित नसेल. ओडिशात घरी पखाला हा भाताचा प्रकार उन्हाळ्यात करण्याची प्रथा आहे. उन्हाळा आळा कि दैनंदिनीत होतो. शाळा, महाविद्यालये, बेळ सकाळी होते. आहारातही बदळ केळा जातो. ४२ अंश सेलसिअस किंवा त्यापेख्या जास्त तापमान असते. उष्णतेजा होऊ नये यासाठी मसालेदार, तिखट पदार्थ भोजनातून गायब होतात. त्याजागी पाचायळा हलका असा पखाळ भात येतो. भारतात ओदिशा, झारखंड काही भांगात; तसेच नेपाल, बांगलादेश व म्यानमार आदी देशामध्येही उन्हाळ्याच पखाळ हमाख्यास बनविला जातो. ओडीशात तर ‘पखाळ’ चे ब्रेडींग सुरु झाले आहे. २० मार्च रोजी आंतराष्ट्रीय ‘पखाळ दिवस’ साजरा केला जातो. ओडीशतिल या परंपरेचे जतन व्हावे व जगभरात याला ओळख मिळाबी हा हेतू यामागे आहे. या दिवसी हॉटेल मधीळ मेनू कार्डावर पखाळ प्रामुख्याने दिसतो. तसेच त्यापासून बनबिलेले वेगवेगळे पदार्थही चाखायला मिळतात. त्याच दिवसी जागतिक हास्य दिन असतो. पखाळ खाल्ल्याने उष्णतेजा जाणवत नसल्याने ओडीशातिल नाकारिक आनंदी राहतात. असे सांगितले जाते. पखाळ साठी लाल किंवा पांढरा तांदळाचा वापर केला जातो. ओडीशातिळ ग्रामीण भागात लाल तांदळापासून पखाळ शिजविला जातो. सळिसह असलेला लाल भात हा पांढन्या भातापेख्या जास्त आरोम्यादायी व चवीष्टो असतो. जगन्नाथपुरीच्या मंदिरात “दही पखाळ” तयार करण्याची प्रथा दहाव्या शतकापासून आहे. शेतात काम करण्यास ताकद मिळविण्यासाठी शेतकरी, शेतमजुरांच्या जेवणात हा भात आवर्जून असतो. विवाह सोहळ्यातही याला धर्मिक महत्व आहे. वधूच्या पाठवणीपुर्बि वराला ‘दही पखाळ’…
ଓଡ଼ିଆ ଅନୁବାଦ (ଆକ୍ଷରିକ ନୁହେଁ):
ଗ୍ରୀଷ୍ମଦିନ ଆସିଲେ ପଖାଳ ଭଲ ଲାଗେ। ହୋଲି ପରେ ପରେ ଖରାର ତୀବ୍ରତା ଅଧିକ ହୁଏ। ଏଥିରୁ ବଞ୍ଚିବା ପାଇଁ ଟୋପି, କୁଲର ଇତ୍ୟାଦି ବ୍ୟବହାର କରାଯାଏ। ଖରା ଦାଉରୁ ରକ୍ଷା ପାଇବା ପାଇଁ ଭାତ ଖିଆଯାଏ। ଖରାଦିନେ ଓଡ଼ିଶାର ଘରେ ଘରେ ପଖାଳ ଭାତ ଖାଇବାର ପ୍ରଥା ଅଛି। ଗ୍ରୀଷ୍ମଦିନ ଆସିଲେ, ଓଡ଼ିଶାରେ ବିଦ୍ୟାଳୟ, ମହାବିଦ୍ୟାଳୟ ସବୁ ସକାଳ ବେଳା ହୁଏ। ୪୨ ଡିଗ୍ରୀ କି ତା’ଠାରୁ ଅଧିକ ତାପମାତ୍ରା ରୁହେ। ମସଲାଯୁକ୍ତ କି ଅତି ଗରମ ଖାଦ୍ୟ ଖରାଦିନେ ଖାଇବା ଠିକ ନୁହେଁ। ପଖାଳ ଭଳି ହାଲୁକା ଖାଦ୍ୟ ଭଲ। ଭାରତରେ ଓଡ଼ିଶା, ଝାରଖଣ୍ତ ଓ ନେପାଳ, ବଙ୍ଗଳାଦେଶ, ମ୍ୟାନମାର ଆଦି ଦେଶରେ ବି ପଖାଳ ଖିଆଯାଏ। କିନ୍ତୁ ଓଡ଼ିଶା “ପଖାଳ”ର ବ୍ରାଣ୍ତିଙ୍ଗ କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଇଛି। ଆନ୍ତର୍ଜାତୀୟ ପଖାଳ ଦିବସ ୨୦ ମାର୍ଚ୍ଚ ରେ ପାଳନ ହେଉଛି। ଓଡ଼ିଶା ତା’ର ପରମ୍ପରା କୁ ବଜାୟ ରଖିଛି ଆଉ ସାରା ବିଶ୍ୱକୁ ଏ ଜିନିଷର ପରିଚୟ ଦେଉଛି। ଖରାଦିନେ ଓଡ଼ିଶାର ସବୁ ହୋଟେଲ(ଭୋଜନାଳୟ)ର ମେନୁକାର୍ଡ଼(ଖାଦ୍ୟ ଚିଠା)ରେ ପଖାଳ ଦେଖିବାକୁ ମିଳେ। ପଖାଳ ସାଙ୍ଗରେ ଭଲ ଚାଖଣା ସବୁ ଖିଆଯାଏ। ସେଇ ୨୦ମାର୍ଚ୍ଚ ଦିନ ହେଉଛି “ବିଶ୍ୱ ହାସ୍ୟ ଦିବସ”। ସେଥିପାଇଁ ଓଡ଼ିଶାର ଲୋକେ ସୁଖି ରୁହନ୍ତି। ଅକାଣ୍ତିଆ ଚାଉଳ କିମ୍ବା ଧଳା ଚାଉଳ ପଖାଳ ପାଇଁ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଇ ପାରିବ। ଶ୍ରୀ ଜଗନ୍ନାଥ ମନ୍ଦିରର ଦହିପଖାଳ ୧୦ମ ଶତକରୁ ତିଆରି ହେଉଛି। କୃଷକମାନେ ପଖାଳ ଖାଆନ୍ତି ଯାହାଦ୍ୱାରା ସେମାନେ କ୍ଷେତରେ କାମ କରିବା ପାଇଁ ବଳ ମିଳିବ, ଓ ଶ୍ରମିକମାନେ ମଧ୍ୟ ସେଥିପାଇଁ ପଖାଳ ଖାଅନ୍ତି। କିଛି ଯାଗାରେ ବାହାଘରରେ ବର ଓ ବଧୁ ମଧ୍ୟ ପଖାଳ ଖାଅନ୍ତି, ଯାହାର କିଛି ଧାର୍ମିକ ମହତ୍ତ୍ୱ ଥାଏ ବୋଲି କୁହାଯାଏ। Some #Pakhala pics: https://www.instagram.com/p/BGT1cRHyPZe/ https://www.instagram.com/p/BGE0BPcyPRZ/ https://www.instagram.com/p/BD_aCs7SPWE/ https://www.instagram.com/p/BE338lnyPQd/ https://www.instagram.com/p/BHH1nHfj1gb/ https://www.instagram.com/p/BGjxoHWyPQk/ https://www.instagram.com/p/BHsZ152jT5U/ 
Cheers, Ashish

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